Shanti ki Talash - Sunil Kumar
Updated: Jan 19, 2024

शांति की तलाश

धूल भरे रास्ते, अकेले ही पांव,
चलता हूं भटकता हूं, बेफिक्र बेगम बेमौज।
दर्द का बोझ नहीं, न हर्ष का नशा,
साथी सिर्फ ईश्वर, जिंदगी की खोज।

रिश्तों की लालसा, दौलत का मोह नहीं,
बस तलाश है सुकून की, भटकती आहों में।
मंजिल पता नहीं, न दिशा का ही खयाल,
हर कदम पर नया सफर, खुला आसमान।

पहाड़ों की गूंज में मिलती मेरी पुकार,
नदियों की कल-कल में है मेरा जवाब।
चांदनी रात में खुलते हैं रहस्य सारे,
तारों की चमक में ढूंढता हूं मैं प्यार।

अकेलापन नहीं है, सिर्फ खामोशी है,
जिसमें सुन पाता हूं खुद की ताल।
हर पत्ते में ईश्वर का दर्शन,
हर चिड़िया के गीत में मेरा उद्धार।

चलता रहूंगा यूं ही, बेमकसद बेधारा,
मंजिल मिलेगी या नहीं, यह न कोई सवाल।
बस सुकून का साथी है मेरा हर सांस,
जीवन का यही सफर, मेरा परम आनंद।

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